कविता दोनो बराबर हैं November 4, 2014 by बीनू भटनागर | Leave a Comment नारी विमर्श नारी उत्थान,करते करते, पुरुष पंहुच गया हाशिये पर, उसे पता भी न चला कि नारी ने, कब बना दिया उसे बेचारा! लड़की को लक्ष्मी कहने वाला समाज, उसे पैदा नहीं होने देता, या उसके होने पर रोता है, क्योकि यहाँ घाटा है। लड़का पैदा हुआ तो ढ़ोल बजते हैं। फ़ायदे का सौदा है! […] Read more » दोनो बराबर हैं