कविता द्रोणाचार्य: प्रतिभा नाश हो सकती नहीं घातक वार से January 21, 2021 / January 21, 2021 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकद्रोण; प्रतिभा अमर होतीनाश हो सकती नहींकिसी घातक वार से जैसे कि ऊर्जा मिटती नहींकिसी धारदार औजार से अस्तु हथियार डाल देतीहकीकत की दीदार से कृष्णार्जुन की जोड़ी थीनाकाफी द्रोण बध के लिएकाफी था स्वजन का मृत्यु अहसास‘अश्वस्थामा हतो’ की अनुभूति अश्वस्थामा संज्ञा नहीं थीनर या कुंजर की अश्वस्थामा संज्ञा हैउस महामाया की […] Read more » द्रोणाचार्य