कविता
द्विज-अद्विज
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकतुम वाणी के वरद पुत्र,श्रुति सूक्त के सूत्रधार!विधिविधानकेनियंता,श्री के स्वयंभू अवतारी! सृष्टि के पतवार को थामे,तुमनेंही मानव को बांटा!घृणितमानसिक सोचसे,द्विज-अद्विज के पाटों में! द्विज वही,जो तुम थे,तेरे थे,अद्विज वही,जिसे तुम घेरेथेसदियों से,दासता औ गुलामी केदुखदायीशासन केघेरे में? तुम शासक और वे शासित,तुम शोषक और वे शोषित,शस्त्र-शास्त्रथे,तुम्हारे रक्षक,शस्त्र-शास्त्र थे,उनके भक्षक! विधि-विधानऔज्ञान-विज्ञान,सबपर रहा अधिकार तुम्हारा!उनके […]
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