धर्म-अध्यात्म एकलव्य- ऋण May 16, 2015 / May 16, 2015 by गंगानन्द झा | Leave a Comment -गंगानंद झा- एकलव्य का सपना था कृति धनुर्धर होने का । यह भील बालक के लिए असामान्य सपना था; तत्कालीन व्यवस्था के लिए एक चुनौती; एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से इनकार कर दिया था । पर वह हताश नहीं हुआ। उसने द्रोण की एक माटी की मूरत बना ली और जंगल में ही […] Read more » Featured एकलव्य एकलव्य- ऋण धनुर्धर