कविता
नवल शक्ति
by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो
-रवींद्र मीणा- हे शक्ति रूप, हे नवल धूप, हो रहा आज मानस कुरूप मधुमास छा गया दिग दिगंत, पीकर मधुरस, मधुकर उन्मत, तू बन प्रचंड -दे उसे दंड, प्रतिकार करो प्रतिकार करो। तेरा जीवन संताप नहीं, तेरा जीवन अभिशाप नहीं, तेरा जीवन संघर्ष सही, होंगे सारे उत्कर्ष वहीं, तू आशा बन, निराशा का, संहार करो, […]
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