धर्म-अध्यात्म नारी के पति के प्रति व्रत व कर्तव्य विषयक ईश्वर की वेदाज्ञा October 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों व वैदिक साहित्य में किन्हीं विशेष तिथियों पर भूखे रह कर व्रत व उपवास करने का विधान नहीं पाया जाता। न तो ईश्वर न अन्य कोई ऐसा चेतन व जड़ देवता है जिसे व्रत व उपवास अर्थात् दिन में एक बार भोजन न कर प्रसन्न किया जा सकता हो। व्रत कहते हैं किसी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए संकल्प को धारण करने के लिए जिससे वह संकल्प रात दिन हमारा मार्ग प्रशस्त करता रहे और वह संकल्पित कार्य शीघ्र पूरा हो सके। Read more » नारी नारी के पति के प्रति व्रत