दोहे निर्गुण सगुण की सृष्टि लीला! June 23, 2020 / June 23, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment निर्गुण सगुण की सृष्टि लीला, ब्रह्म चक्र सुधा रही; संचर औ प्रतिसंचर विहर, आयाम कितने छू रही! प्रकृति पुरुष संयोग कर, सत रज औ तामस सज सँवर; हो महत फिर वर अहं चित्त, भूमा मना छायी रही! जब चित्त तामस गुण गहा, आकाश तब उमड़ा गुहा; वायु बही अग्नि उगी, जल बहा औ पृथ्वी बनी! […] Read more » निर्गुण सगुण की सृष्टि लीला!