कविता प्रेम का ऐसा हठयोग …? February 19, 2015 by अलकनंदा सिंह | Leave a Comment आलता भरे पांव से वो ठेलती है, उन प्रभामयी रश्मियों को, कि सूरज आने से पहले लेता हो आज्ञा उससे प्रेम का ऐसा हठयोग देखा है तुमने कभी कैसे पहचानोगे कि कौन बेताल है, और कौन विक्रमादित्य, जिसके कांधे पर झूलता है मेरा और तुम्हारा मन ठंडी हुई आंच में भी सुलगने लगता है कोई […] Read more » प्रेम का ऐसा हठयोग ...?