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मैं, अलकनंदा जो अभी सिर्फ शब्दनाम है, पिता का दिया ये नाम है स्वच्छता का...निर्मलता ...सहजता...सुन्दरता...प्रवाह...पवित्रता और गति की भावनाओं के संगम का।।।
इन सात शब्दों के संगमों वाली यह सरिता मुझे निरंतरता बनाये रखने की हिदायत देती है वहीं पाकीज़गी से रिश्तों को बनाने और उसे निभाने की प्रेरणा भी देती है। बस यही है अलकनंदा...और ऐसी ही हूं मैं भी।