धर्म-अध्यात्म बलिवैश्वदेव महायज्ञ के उद्देश्य, विधि एवं होने वाले लाभों पर विचार October 22, 2016 / October 22, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment बलिवैश्वदेव यज्ञ का अन्तिम विधान करते हुए ऋषि दयानन्द जी ने ‘शुनां च पतितानां च श्वपचां पापरोगिणाम्। वायसानां कृमीणां च शनकैर्निर्वपेेद् भुवि।।’ को प्रस्तुत कर लिखा है कि बलिदान के 16 मन्त्रांे के बाद छः भागों को लिखते हैं। इस श्लोक का भाषार्थ करते हुए ऋषि लिखते हैं कि कुत्तों, कंगालों, कुष्ठी आदि रोेगियों, काक आदि पक्षियों और चींटी आदि कृमियों के लिए छः भाग अलग-अलग बांट के दे देना और उनकी प्रसन्नता सदा करना। Read more » बलिवैश्वदेव महायज्ञ