दोहे ब्रहत हो स्वत्व ब्रह्म गति धाता ! February 11, 2020 / February 11, 2020 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment ब्रहत हो स्वत्व ब्रह्म गति धाता, परम सत्ता का स्वाद चख पाता; अहं को फिर कहाँ है भा पाता, सृष्टि को अपनी समझ रस लेता ! दोष दूजों में तब न लख पाता, समझ हर अपना द्वैत ना रहता; किए सहयोग तब चला होता, योग की हर कड़ी मगन रहता ! घड़ी हर घट में […] Read more » ब्रहत हो स्वत्व ब्रह्म गति धाता !