कविता बड़े घरों में पड़ा ताला January 29, 2014 / January 29, 2014 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment -मिलन सिन्हा- खस्ता हाल साल दर साल क्या करे मजदूर -किसान हैं सब बहुत परेशान या तो बाढ़ या फिर सूखा आधी उम्र गरीब रहता है भूखा हर गांव में महाजन देते ऊंचे ब्याज पर रकम पर कैसे चुकाए उधार कहां मिले रोजगार बेचना पड़े घर – द्वार शहर भी कहां खुशहाल गरीब यहां […] Read more » poem बड़े घरों में पड़ा ताला