कविता भयावह सपना September 7, 2018 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment -विनोद सिल्ला सपने में नित देता है दिखाई समाज का उधड़ता ताना-बाना घुलता फिजां में जहर साम्प्रदायिक कहर दलितों की रुकती घुड़चढ़ी खाप-पंचायतों की ललकार ऑनर कीलिंग की चीख-पुकार ढलता नैतिक मूल्यों का सूरज लुप्त होती संवेदना नित-नया भयावह सपना लगा डर लगने सोने से भयावह सपनों से Read more » खाप पंचायतों भयावह सपना समाज