विविधा जनता जब भीड़ में तब्दील हो जाती है April 2, 2011 / December 14, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो तो भीड़ का न्याय अकल्पनीय होता है| डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’ सुधी पाठक इस आगे पढने से पूर्व केवल इतना सा जान लें कि प्रत्येक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भारत के संविधान के अनुसार पब्लिक सर्वेण्ट हैं, जिसका स्पष्ट अर्थ है कि प्रत्येक सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी न तो भारत सरकार का नौकर है और […] Read more » Public जनता न्याय भीड़
विविधा साल के पड़ाव पर, भई संतन की भीड़ January 3, 2011 / December 18, 2011 by जयप्रकाश सिंह | 7 Comments on साल के पड़ाव पर, भई संतन की भीड़ जयप्रकाश सिंह 1 जनवरी 2011 की दोपहर को भुवनेश्वर से एक परम मित्र का फोन आया। यह फोन रोमन नववर्ष की बधाई देने के लिए नहीं था। उन्होंने एक सूचना दी कि आज पूरी में भगवान जगन्नाथ के दर्शनार्थियों की संख्या रथयात्रा के समय होने वाली संतों की भीड़ से कम नहीं है। उन्होंने प्रत्येक […] Read more » Crowd भीड़