कविता
भ्रष्टाचार को रोके कैसे ?
/ by बीनू भटनागर
यू.पी. ए. 2 सरकार हमारी, भोली भाली और बेचारी, राजकुमार उनके ब्रम्हचारी, राज करें उनकी महतारी। प्रधानमंत्री भी भोले भाले, सारे काँण्ड करें मंत्रीगण, कभी कामनवेल्थ धोटाला, 2जी, 3जी मे नहा नहाकर, हैलीकौप्टर की घूस खाकर, कोलगेट से दाँत साफकर, आर्म्स गेट से अन्दर जाकर, रेल गेट से बाहर आकर, कलावती की रोटी खाकर, दामाद को अरबपति बनाकर, हम तो बालक भोले भाले, मंत्री हमारे सारे चमचे, भ्रष्टाचार को रोकें कैसे, वो ही तो हाथ पैर हमारे।
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