कविता
भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस
/ by रवि श्रीवास्तव
-रवि श्रीवास्तव- भ्रष्टाचार है इक मायावी राक्षस, बन गया इस देश का भक्षक, हर तरफ है ये तो फैला, लड़ा नहीं जा सकता अकेला, बन गया ये तो झमेला, जायेगा न अब ज्यादा झेला, मिलकर सभी दिखाओ जोर, कर तुम इसको कमजोर , तोड़ दो इसकी रीढ़ की हड्डी, बंध न पाए जिसमे पट्टी , कर […]
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