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राजनीति समाज

सामाजिक समरसता एवम् डॉ .भीमराव अांबेडकर

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डॉ .प्रेरणा चतुर्वेदी भारतीय संस्कृति की आत्मा समरसता परिपूर्ण है .धर्म सापेक्षीकरण ,धर्म निरपेक्ष करण ,सर्वधर्म समभाव, मानवतावाद ,बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय, आदि अवधारणा सामाजिक समरसता की पोषक रही हैं. विविधता में एकता का भाव समरसता का प्रतिनिधित्व करता है. ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ यह भारतीय संस्कृति का अमर वाक्य व्यष्टि  नहीं  समष्टि के कल्याण ,सुख […]

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