आर्थिकी ‘मुहावरा रह गई दाल-रोटी’ February 28, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment -भरतचंद्र नायक- हर मुल्क का आत्मदर्शन, प्रतिबद्धताएं और वर्जनाएं होती हैं जो कौम की दिशा निर्देश बनती है। भारत में दाल रोटी की पूर्ति करने के लिए आजीविका चलते रहना हमारे परम संतोष का विषय रहा है। इसलिए खेती को आजीविका के बजाय धर्म और संस्कृति के रूप में आत्मसात किया गया है। आाजदी के […] Read more » ‘मुहावरा रह गई दाल-रोटी’ Agriculture condition in India