समाज मृत्य पर इतना पाखँड क्यों? April 29, 2013 / April 29, 2013 by बीनू भटनागर | 21 Comments on मृत्य पर इतना पाखँड क्यों? मृत्य एक शाश्वत सत्य है, जीवन की तरह, कोई नहीं जानता कब कैसे और कंहाँ किसकी मृत्यु होगी।यदि व्यक्ति अपनी गृहस्थी के संपूर्ण दायित्वों को निबटा कर जाता है तो यह सत्य स्वीकारना और सहना प्रियजनो के लियें सरल होता है पर जब कोई बचपन की अठखेलयाँ करता या यौवन की खिलती धूप मे असमय […] Read more » मृत्य पर इतना पाखँड क्यों?