कविता
मेरे बिन
/ by डॉ राजपाल शर्मा 'राज'
सवाल ज़ेहन में आता ही होगा,गाहे-बगाहे सताता भी होगा,कि जिस दिन सांसें थम जाएगी,सारी हरक़त जम जाएगी,फिर क्या होगा?अरे! मेरे बिना क्या होगा?तो सुनो- तब लोग तुम्हारा ज़िक्र करेंगे,दिल से सच्ची आह भरेंगे।दस-पांच के आंसू आएंगे,दो-चार तो ना खा पाएंगे।धीरे से फिर शाम ढलेगी,डिम लाइट में बात चलेगी।पर कुछ शायद ना सो पाएं,जो खुल के […]
Read more »