कविता
मैं भगतसिंह बोल रहा हूं, मैं नास्तिक क्यों हूं?
/ by विनय कुमार'विनायक'
—विनय कुमार विनायकमैं भगतसिंह बोल रहा हूंमैं नास्तिक क्यों हूं?मुझे नास्तिक कहनेवालेतुम आस्तिक कितने हो?किसी खास किस्म की लिबास पहने,किसी खास दिशा के ईश में आस्था,यदि आस्तिकता की परिभाषा हैतब तो मेरा नास्तिक है बसंती चोला!मेरा ईश्वर मेरे अंदर, सबके अंदरमेरा ईश्वर सभी दिशा में, सभी वेश में,मंदिर, गुरुद्वारा, मस्जिद, गिरजाघर में,धरती के जर्रा-जर्रा, हर […]
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