कविता मौन का संगीत September 3, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment जो लिखे थे आँसुओं से, गा सके ना गीत। अबतलक समझा नहीं कि हार है या जीत।। दग्ध जब होता हृदय तो लेखनी रोती। ऐसा लगता है कहीं तुम चैन से सोती। फिर भी कहता हूँ यही कि तू मेरा मनमीत। अबतलक समझा नहीं कि हार है या जीत।। खोजता हूँ दर-ब-दर कि […] Read more » Featured poem by shyamal suman मौन का संगीत