विविधा भारतीय चिंतन में रसानुभूति December 10, 2010 / December 19, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on भारतीय चिंतन में रसानुभूति हृदयनारायण दीक्षित मनुष्य आनंद अभीप्सु है। भक्तों के अनुसार प्रभु का भजन ही आनंद का स्रोत है। भक्त मुक्ति या मोक्ष नहीं मांगते। प्रभु प्रीति में ही आनंद सागर देखते हैं। महात्मा बुध्द संसार को दुखमय देखते थे। उन्होंने दुखों का कारण ‘अविद्या’ बताया और विद्या को मुक्ति का उपाय। मुक्ति ही आनंद है। बाकी […] Read more » Indian रसानुभूति