व्यंग्य साहित्य राजतंत्र का तबेला December 6, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी की खुशी का पारावार नहीं था। जैसे पक्षी नहाने के बाद पंख झड़झड़कार आसपास वालों को भी गीला कर देते हैं, ऐसे ही शर्मा जी अपने घर से सामने से निकलने वालों को मिठाई खिलाकर गरम चाय भी पिला रहे थे। ठंड के कारण कई लोग तो तीन-चार बार आ गये; पर शर्मा […] Read more » Featured राजतंत्र का तबेला