गजल रिश्ते भी हो गये हैं व्यापार की तरह…. May 2, 2013 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी दावा तो कर रहे थे वफ़ादार की तरह , अब क्यों खड़े हैं आप ख़तावार की तरह। अफ़सोस मेरे क़त्ल में ऐसे भी लोग थे, आये थे घर मेरे जो मददगार की तरह । दौलत तमाम रिश्तों की चाबी है आजकल, रिश्ते भी हो गये […] Read more » रिश्ते भी हो गये हैं व्यापार की तरह....