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Tag: लुप्तप्राय हो रहे हैं पुरातन संसाधन

समाज

लुप्तप्राय हो रहे हैं पुरातन संसाधन

September 20, 2018 by अनिल अनूप | Leave a Comment

अनिल अनूप लोकजीवन में देसी परिवहन के साधनों में ‘बैलगाड़ी’ हमारी परम्परा एवं किसानी संस्कृति का ऐसा मजबूत आधार रही है, जिसके बिना किसान के जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती। पहर के तड़के बैलगाड़ियों के पहियों से चूं-चूं चर्र-चर्र व बैलों के गले में बजने वाले घुंघरूओं से संगीत की जो स्वर लहरियां […]

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किसानी संस्कृति बैलगाड़ी भेरड़ा लुप्तप्राय हो रहे हैं पुरातन संसाधन
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