कविता
हाँ, हाँ मैंने वक्त बदलते देखा है…….
/ by पंकज व्यास
पंकज व्यास मैंने वक्त बदलते देखा है, दुनिया के दस्तूर बदलते देखे हैं, मैंने, मैंने, रिश्ते और रिश्तेदार बदलते देखे हैं मैंने, अपनो को बैगाना होते देखा है, हाँ, हाँ, मैंने वक्त बदलते देखा है…… मैंने लोगो की मधु-मुस्कान में स्वार्थी बदबू को आते देखा है… कथनी और करनी में अंतर को […]
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