जन-जागरण राजनीति एक कुआं, एक मंदिर, एक श्मसान के मायने March 30, 2015 / April 4, 2015 by वीरेंदर परिहार | 2 Comments on एक कुआं, एक मंदिर, एक श्मसान के मायने सच्चाई यह है कि संघ आरंभ से हिन्दू समाज की आत्महीनता को दूर करने तथा हिन्दुओं में व्याप्त भेदभाव एवं छुआछूत की भावना को दूर करने को प्रयासरत है। यहां तक कि संघ के प्रचारक अमूमन अपने नाम के आगे जाति नहीं लिखते और संघ में न तो जाति पूछी जाती है न वहां जाति […] Read more » Featured एक कुआं एक मंदिर एक श्मसान के मायने विरेन्द्र सिंह परिहार