कविता साहित्य विश्वास- विश्वशान्ति का August 12, 2016 by शकुन्तला बहादुर | Leave a Comment हर दिशा से शान्ति की पुरवाइयाँ बहें । विश्व है परिवार सबका,यही जन जन कहें । प्रेम का जल द्वेष की ज्वाला बुझाए । विश्वप्रेम की प्रतिपल ज्योति जगाए।। हिंसा तो बस प्रतिहिंसा को है बढ़ा रही । जग को है भयभीत और अशान्त कर रही ।। है विश्वास यही मन में ,एक दिवस वह […] Read more » Featured poem on Independence Day विश्वास- विश्वशान्ति का