कविता वृद्ध- कुमार विमल June 24, 2013 / June 24, 2013 by कुमार विमल | 1 Comment on वृद्ध- कुमार विमल वह गुमनाम सा अँधेरा था , और वहाँ वह वृद्ध पड़ा अकेला था , वह बेसहाय सा वृद्ध वह असहाय सा वृद्ध , वह लचार सा वृद्ध । आज चारो तरफ मला था , पर वह वृद्ध अकेला था , चारो तरफ यौवन की बहार थी , पर वहाँ वृद्धावस्था की पुकार थी , […] Read more » वृद्ध वृद्ध- कुमार विमल