व्यंग्य ये गया कि वो गया!! January 3, 2012 / January 3, 2012 by अशोक गौतम | Leave a Comment सारी रात रजाई में दुबक टमाटर की आरती गाते रहने के बाद ब्रह्म मुहूर्त में प्याज चालीसा पढ़ रहा था कि एकाएक दरवाजे पर ठक्- ठक् हुई। पड़ोसी ही होगा! आ गया होगा नए साल की मुबारकबाद देने के बहाने खाली कटोरी बजाता। इसे तो बस मांगने का कोई बहाना चाहिए। प्याज चालीसा पढ़ना बंद […] Read more » satire by Ashok Gautam व्यंग्य-ये गया कि वो गया