धर्म-अध्यात्म श्रम करने वालों का मित्र बनता है भगवान् October 6, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” अर्थ अर्थात धन की महता से कौन परिचित नहीं है । अर्थ जीवन की मूलभूत आवश्यकता है, और मनुष्यों के लिए धन का अभाव असह्य है। यद्यपि मानव जीवन का लक्ष्य निरन्तर उन्नति के पथ पर आरूढ़ होना है, और उसकी प्राप्ति का साधन ऐसा प्रयोगात्मक ज्ञान है, जिस पर चलकर मनुष्य मोक्ष […] Read more » श्रम करने वालों का मित्र बनता है भगवान्