कविता सबसे लम्बी रात का सुपना नया… December 24, 2019 / December 24, 2019 by अरुण तिवारी | Leave a Comment अरुण तिवारी सबसे लम्बी रात का सुपना नया देह अनुपम बन उजाला कर गया। रम गया, रचता गया रमते-रमते रच गया वह कंडीलों को दूर ठिठकी दृष्टि थी जो पता उसका लिख गया सबसे लम्बी रात का सुपना नया… रमता जोगी, बहता पानी रच गया कुछ पूर्णिमा सी कुछ हिमालय सा रचा औ हैं रची […] Read more » सबसे लम्बी रात का सुपना नया