विविधा हिन्दी समीक्षकों का बेसुरा हिन्दीराग March 26, 2010 / March 26, 2010 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 3 Comments on हिन्दी समीक्षकों का बेसुरा हिन्दीराग हिन्दी शोध जगत गंभीर गतिरोध के दौर से गुजर रहा है। नए और चुनौतीपूर्ण विषयों के प्रति रूझान घटा है। वर्तमान के प्रति हमने आंखें बंद कर ली हैं। शोध को दोयमदर्जे का लेखन मान लिया है। अनुसंधान और गंभीर चिन्तनरहित विवेक का ही चारों ओर जयगान हो रहा है। शोध के प्रति गंभीर उपेक्षा […] Read more » शोध समीक्षक हिंदी