कविता सभी साम्प्रदायिक गटर में कूंदे यह जरूरी तो नहीं ! December 19, 2014 / December 19, 2014 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment शरीफ -शराफत नहीं दिखायेंगे यह जरुरी तो नहीं। उनपर यकीन न किया जाए यह जरुरी तो नहीं।। कितने अंगुलिमाल हो चुके हैं बुद्धम शरणम गच्छामि , इनको कभी अक्ल नहीं आएगी यह जरूरी तो नहीं। चोर-उचक्के–हत्यारे -व्यभिचरी भी करते हैं हज यात्रा , दीनो -ईमान का उन पर साया न हो यह जरुरी तो नहीं। धूर्त -पाखण्डी -अंधश्रद्धा से पीड़ित भी जाते हैं […] Read more » साम्प्रदायिक गटर