विविधा साहित्य या तमाशा ?? August 6, 2015 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी पिछले दिनों फ़ेसबुक पर वास्तविकता से भरा हुआ एक व्यंग्य पढ़ने को मिला जो इस प्रकार था-‘एक अंग्रेज़ डॉक्टर भारत में घूम-फिर रहा था। वह एक बुक स्टॉल पर गया और वहां उसकी नजर एक पुस्तक पर पड़ी। मात्र 20 रुपये मूल्य की इस पुस्तक का शीर्षक था-‘मात्र एक महीने में घर बैठे […] Read more » साहित्य या तमाशा