समाज सर्दी, सिहरन और एक दुखद सच्चाई ? January 31, 2012 / January 31, 2012 by वीरभान सिंह | 1 Comment on सर्दी, सिहरन और एक दुखद सच्चाई ? वीरभान सिंह यह हाड कंपाने वाली ठंड। बस, रजाई में दुबके पडे रहें और हाथ बाहर न निकालना पडे। अपना हाथ पानी में भले ही कटकर गिरता हुआ सा लगे, पर मां अपने हाथ से गरमा-गरम पकौडियां, मटर और आलू भरे पराठे देती रहे। चाय-काॅफी की गर्माहट मिलती रहे। ज्यादा शौक चढे तो चोक-चोराहों पर […] Read more » shivering people in cold unbeatable cold सर्दी सिहरन