कविता
सीने में जलती आग
by मिलन सिन्हा
-मिलन सिन्हा- हर मौसम में, देखता हूँ उन्हें, मौसम बारिश का हो, या चुनाव का, रेल पटरियों से सटे, उनके टाट -फूस के, घर भी हैं सटे-सटे, चुनाव से पूर्व उन्हें, एक सपना दिखाई देता है, बारिश से पहले, अपने एक पक्के घर का, लेकिन चुनाव के बाद, बारिश शुरू होते ही, एक दुःस्वप्न दिखाई […]
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