कविता
सुनो ए सखी
/ by भारत भूषण
सुनो ए सखी,चलो रास रचाए हम!थोड़ा रंग जमाओ तुम,थोड़ा रंग जमाये हम!सुनो ए सखी,चलो रास रचाए हम! ये चाँदनी रात है,दूधिया ये नज़ारा है!तुम जल्दी आ जाओ,कहीं बीत न जाये क्षण!!सुनो ए सखी,चलो रास रचाए हम! ये कल-कल करता शोर,नदी का ये किनारा है!कहीं हो जाए न भोर,अब बोले मन चकोर!सुनो ए सखी,चलो रास रचाए […]
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