कविता हम जो छले, छलते ही गये December 30, 2019 / December 30, 2019 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment 15 अगस्त की वह सुबह तो आयी थी जब विदेशी आंक्रान्ताओं से हमें शेष भारत की बागड़ोर मिली हम गुलाम थे, आजाद हुये आजादी के समय भी हम छले गये थे आज भी हम अपनों के हाथों छले जा रहे है। भले आज हम आजादी में साॅसे ले रहे है पर यह कैसी आधी अधूरी […] Read more » छलते ही गये हम जो छले