कविता हम पिंजड़ों में November 3, 2014 by अभिषेक कांत पांडेय | Leave a Comment अभिषेक कांत पांडेय हम पिंजड़ों में हम सब ने एक नेता चुन लिया उसने कहा उड़ चलो। ये बहेलिया की चाल है, ये जाल लेकर एकता शक्ति है। हम सब चल दिये नेता के साथ नई आजादी की तरफ हम उड़ रहें जाल के साथ आजादी और नेता दोनों पर विश्वास हम पहुच चुके थे […] Read more » हम पिंजड़ों में