व्यंग्य साहित्य हम मिले, तुम मिले…. May 29, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment चिरदुखी शर्मा जी प्रायः दुखी ही रहते हैं; पर जब कभी वे खुश होते हैं, तो यह खुशी ‘इश्क और मुश्क’ की तरह छिपाए नहीं छिपती। उनकी कंजूसी के बारे में पूरा मोहल्ला जानता है; पर कल वे न जाने कहां से ढेर सारी बूंदी ले आये और सबको बांटने लगे। उनके घर के पास […] Read more » satirical article on third front तुम मिले.... हम मिले