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Tag: हाथों में रची मेहँदी

गजल

हाथों में रची मेहँदी और झूले पड़े हैं

July 27, 2011 / December 8, 2011 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment

हाथों में रची मेहँदी और झूले पड़े हैं पिया क्यों शहर में मुझे भूले पड़े हैं। आजाओ जल्दी से अब रहा नहीं जाता कि अमिया की ड़ाल पर झूले पड़े हैं। सावन का महीना है मौका तीज का पहने आज हाथों में मैंने नए कड़े हैं। समां क्या होगा जब आकर कहोगे गोरी अब तो […]

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Mehandi हाथों में रची मेहँदी
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