गजल हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं हैं….. November 24, 2012 / November 24, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी कै़द में सता लो तुम पर मिटा नहीं सकते, है सदा ए हक़ मेरी तुम दबा नहीं सकते। ध्ूाप का मुसाफिर हूं मंज़िलें हैं सूरज की, मोम जैसे नाज़ुक तुम साथ जा नहीं सकते। हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं है, लोग अपनी मरज़ी से आगे जा नहीं सकते। […] Read more » हाथ पांव अपने हैं दिल दिमाग़ गिरवीं हैं.....