कविता हारी नहीं हूँ September 23, 2014 by बीनू भटनागर | 4 Comments on हारी नहीं हूँ 1. हारी नहीं हूँ थकी हूँ हारी नहीं हूँ, थोड़ा सा विश्राम करलूं। ज़रा सी सी दुखी हूँ फिर भी, थोड़ा सा श्रंगार करलूं। श्रंगार के पीछे अपने, आंसुओं को छुपालूं। ख़ुश नहीं हूँ फिर भी, ख़ुशी का इज़हार करलूं। शरीर तो दुख रहा है, फिर भी दर्द को छुपालूँ। भंवर मे फंसी है नैया, […] Read more » हारी नहीं हूँ