कविता है कहर बाहर July 14, 2021 / July 14, 2021 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment क्यों घरों को छोड़कर बाहर निकलते।है कहर बाहर नहीं फिर क्यों संभलते। सड़क गलियों से अभी तक प्यार क्यों है।मिल रहीं बीमारियाँ जब राह चलते। हो गए बीमार तो फिर क्या करोगे?रोओगे रह जाओगे फिर हाथ मलते। भीड़ में जाना मुनासिब जब नहीं है,क्यों नहीं यह बात अब तक भी समझते। मास्क बांधो और छह […] Read more » है कहर बाहर