धर्म-अध्यात्म मत-मतान्तरों द्वारा ईश्वर को न मानना व अन्यथा मानने का कारण अविद्या है December 2, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य देश व संसार में दो प्रकार के मत हैं। कुछ व अधिकांश मत संसार में ईश्वर का होना मानते हैं। यह बात अलग है कि सभी आस्तिक मतों में ईश्वर के स्वरूप व गुण, कर्म व स्वभाव को लेकर एक मत नहीं है व उनके विचारों में मान्यताओं में अनेक भेद हैं। […] Read more » अविद्या ईश्वर
धर्म-अध्यात्म ईश्वर-जीवात्मा-प्रकृति विषयक अविद्या विश्व में अशान्ति का कारण July 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य संसार में लोग उचित व अनुचित कार्य करते हैं। अनुचित काम करने वालों को सामाजिक नियमों के अनुसार दण्ड दिया जाता है। न केवल सामान्य मनुष्य अपितु शिक्षित व उच्च पदस्थ राजकीय व अन्य मनुष्य भी अनेक बुरे कामों को करते हैं जिनसे देश व समाज कमजोर होता है और इसके परिणाम […] Read more » अविद्या ईश्वर जीवात्मा प्रकृति विश्व में अशान्ति का कारण
धर्म-अध्यात्म अविद्या दूर करने का एकमात्र उपाय वैदिक साहित्य का स्वाध्याय August 7, 2015 by मनमोहन आर्य | 3 Comments on अविद्या दूर करने का एकमात्र उपाय वैदिक साहित्य का स्वाध्याय मनुष्य की आत्मा के अल्पज्ञ होने के कारण इसके साथ अविद्या अनादि काल से जुड़ी हुई है। इसका एक कारण जीवात्मा का एकदेशी, ससीम, राग-द्वेष व जन्म-मरणधर्मा आदि होना भी है। ईश्वर सर्वव्यापक, निराकार, सर्वान्तर्यामी एवं सर्वज्ञ है। सर्वज्ञ का तात्पर्य है कि वह जानने योग्य सब कुछ जानता है। वह जीवों के कर्मों की […] Read more » अविद्या वैदिक साहित्य का स्वाध्याय