कविता दास्तां सुन कर क्या करोगे दोस्तों …!! September 3, 2018 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा ————————- बचपन में कहीं पढ़ा था रोना नहीं तू कभी हार के सचमुच रोना भूल गया मैं बगैर खुशी की उम्मीद के दुख – दर्दों के सैलाब में बहता रहा – घिसटता रहा भींगी रही आंखे आंसुओं से हमेशा लेकिन नजर आता रहा बिना दर्द के समय देता रहा जख्म पर जख्म […] Read more » आंसुओं गमों का प्याला दास्तां सुन कर क्या करोगे दोस्तों ...!! शिकवे
कहानी साहित्य साहित्य, राजनीति और पत्रकारिता के एक सूर्य का अस्त होना May 14, 2018 by मनोज कुमार | Leave a Comment मनोज कुमार मन आज व्याकुल है। ऐसा लग रहा है कि एक बुर्जुग का साया मेरे सिर से उठ गया है। मेरे जीवन में दो लोग हैं। एक दादा बैरागी और एक मेरे घर से जिनका नाम इस वक्त नहीं लेना चाहूंगा। दोनों की विशेषता यह है कि उनसे मेरा संवाद नहीं होता है लेकिन […] Read more » ‘समागम’ Featured आंखों आंसुओं पत्रकारिता राजनीति साहित्य साहित्यकार डॉ. सरोज कुमार सूर्य अस्त