कविता साहित्य आज का मानव June 1, 2013 / June 1, 2013 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on आज का मानव आज हरेक के जेब में मानव हरेक के पेट में मानव पेट से निकला है मानव पेट से परेशान है मानव अन्तरिक्ष में क्रीड़ा कर रहा है मानव सड़क पर लेटा है मानव जोड़ – घटाव में व्यस्त है मानव वैरागी बन रहा है मानव मशीन बन रहा है मानव समुद्र की लहरें गिन रहा […] Read more » आज का मानव