कविता साहित्य इस साल न हो पुर-नम आँखें December 28, 2016 by डॉ.कुमार विश्वास | Leave a Comment “इस साल न हो पुर-नम आँखें, इस साल न वो खामोशी हो इस साल न दिल को दहलाने वाली बेबस-बेहोशी हो इस साल मुहब्बत की दुनिया में, दिल-दिमाग की आँखें हों इस साल हमारे हाथों में आकाश चूमती पाँखें हों ये साल अगर इतनी मुहलत दिलवा जाए तो अच्छा है ये साल अगर हमसे हम […] Read more » इस साल न हो पुर-नम आँखें